विद्यालयों में अनिवार्य सैनिक शिक्षा
जीवन में अनुशासन लाने के लिए प्रत्येक नागरिक को कम-से-कम पाँच वर्षों तक सेना में रहना चाहिए। इस कथन के पक्ष में अपने विचार प्रकट कीजिए।
हमारा भारत कई वर्षों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ा रहा, तब हमारे सामने देश को इन जंजीरों से मुक्त करवाना ही एकमात्र उद्देश्य था। असंख्य बलिदानों के पश्चात् ही हम अपने देश को आजाद करवा पाए। अब हमारे सामने कई नई चुनौतियाँ खड़ी हैं-देश की स्वतंत्रता को बचाए रखना, आतंकवाद से सामना आदि। ऐसे दायित्वों को निभाने के लिए नागरिकों का अनुशासित और बहादुर होना अत्यंत आवश्यक है। अतः प्रश्न यह उठता है कि क्या विद्यालयों में सैनिक शिक्षा अनिवार्य कर देनी चाहिए?
सैनिक शिक्षा से विद्यार्थियों में स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता, बहादुरी, अनुशासन तथा बंधुत्व का भाव अपने-आप आ जाएगा। सैनिक शिक्षा उनमें देश-प्रेम और राष्ट्रीयता को भी पुष्ट करेगी। वे आदर्शवाद के साँचे में ढल सकते हैं। इस प्रकार वे सभ्य, सुसंस्कृत और व्यवस्थित समाज की रचना में अपना पूरा योगदान कर सकते हैं।
अगर हम बड़े पैमाने पर देखें तो आज का विद्यार्थी अनुशासनहीन होता जा रहा है। इस अनुशासनहीनता से निपटने के लिए शिक्षकों का प्रयास व्यर्थ हो रहा है। बड़े-बड़े प्रयोग किए जा रहे हैं, किंतु कुछ भी कारगर सिद्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में विद्यालयों में सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता ही समस्या का एकमात्र समाधान है। इससे हमारे देश को ऐसे नागरिक प्राप्त होंगे जो आदर्श और अनुशासन के नियमों के पालन को ही अपना धर्म मानेंगे। इससे स्वतः एक व्यवस्थित समाज की रचना हो जाएगी।
विद्यालयों में वैसे तो एन०सी०सी० इत्यादि की व्यवस्था की गई है जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में सेवा भाव एवं कर्तव्य भावना भरना है, परंतु इसे अनिवार्य नहीं किया गया है। सैनिक शिक्षा विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक तो बनाएगी ही, साथ ही उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से भी अवगत करवाएगी। अतः देश के सभी विद्यालयों में सैनिक शिक्षा का प्रशिक्षण देना अनिवार्य होना चाहिए, ऐसी मेरी अभिलाषा है।
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