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भारत रत्न जवाहरलाल नेहरू




रूपरेखा 1. प्रस्तावना, 2. जन्म और शिक्षा, 3. राजनीति की ओर, 4. गांधीजी से भेंट , 5. स्वतंत्रता संग्राम, 6. प्रधान मंत्री नेहरूजी, 7. लेखक नेहरूजी, 8. महानता युगपुरुष और 9. उपसंहार।


प्रस्तावना:संसार में बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो अपने देश को अपना सब कुछ देकर, देश की महान सेवा करके सारे संसार में यश कमाते हैं और संसार के श्रेष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू हमारे देश के ऐसे ही एक महान नेता थे। उन्होंने अपने विचारों और अपनी सेवाओं से हमारे देश को इतना प्रभावित किया कि उनके समय का इतिहास नेहरू युग' के नाम से जाना जाता है और वे 'युग पुरुष' माने जाते हैं।


जन्म और शिक्षा :- नेहरूजी का जन्म 14 नवंबर सन् 1889 को इलाहाबाद में हुआ। ये पंडित मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे। इनकी पढ़ाई पहले घर पर ही हुई। बाद में विलायत में हैरो में शिक्षा पाई। उनकी कक्षा में उनके सिवाय ऐसा कोई विद्यार्थी न था जो इंग्लैंड के मंत्री मंडल के सभी सदस्यों के नाम बता सकता था। बाद में इन्होंने कैम्ब्रिज में शिक्षा पाई। कानून पढ़कर सन् 1912 में वे भारत लौटे।


राजनीति की ओर:- सबने सोचा था कि नेहरूजी वकालत करके नाम कमायेंगे। पर वे श्री गोपालकृष्ण गोखले से प्रभावित हुए ओर उनका झुकाव राजनीति की और बढ़ने लगा।


:गांधीजी से भेंट सन् 1916 में लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन के समय नेहरूजी की भेंट गांधीजी से हुई। उन्होंने अनुभव किया कि गांधीजी ही भारत के सच्चे प्रतिनिधि हैं और वे ही इस देश की भावना को व्यक्त (प्रकट) कर सकते हैं।


स्वतंत्रता संग्राम :- गांधीजी के संपर्क में आकर नेहरूजी ने स्वतंत्रता - संग्राम में भाग लिया और कई बार जेल गये। थोड़े ही दिनों में अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण गांधीजी के उत्तराधिकारी समझे जाने लगे। स्वतंत्रता मिलने पर आप भारत के प्रथम प्रधान मंत्री बने।


प्रधान मंत्री नेहरूजी:- भारत के प्रधान मंत्री बनने पर नेहरूजी ने कई महान कार्य किये। गांधीजी के बाद वे ही भारत के प्रधान निर्माता थे। उन्होंने पंचवर्षीय योजनाएँ बनाकर भारत की कई क्षेत्रों में उन्नति की। वे अच्छी तरह जानते थे कि कृषि और उद्योग के क्षेत्रों में जब तक भारत अपने पैरों पर खड़ा न होगा तब तक वह संसार के महान राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा नहीं हो सकता। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने विज्ञान का सहारा लिया। बिजली की परियोजनाओं और नदी-घाटी परियोजनाओं के सहारे 'हरित क्रांति'शुरु की। पहले हमारे देश में एक छोटी-सी सुई भी नहीं बनती थी। पर आज सूक्ष्म से सूक्ष्म मशीनें बनने लगी हैं। नेहरूजी के प्रयत्नों के कारण ही आणविक दृष्टि से भारत की जनता मं आत्म-विश्वास रूपी महान गुण पैदा किया। भारत की उन्नति के लिए वे हर दिन अठारह घंटे तक काम करते थे। कभी कभी दिन में दो घंटे ही आराम कर पाते थे। पर उनके चेहरे पर कभी उदासी नहीं होती थी। युवकों के चरित्र-निर्माण के लिए उन्होंने एशियाई खेल शुरु कराये।


लेखक नेहरूजी:- नेहरूजी महान लेखक भी थे। विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज, पिता के पत्र पुत्री के नाम आदि उनकी महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं। ये सब ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित हैं और सारे विश्व में प्रसिद्ध हैं। उनकी आत्मकथा संसार की सर्वश्रेष्ठ आत्मकथाओं में एक मानो. जाती है। उनकी शैली इतनी उत्तम है कि उनको पढ़ते समय, काव्य जैसा आनंद आता है।


- महानता-युगपुरुष: जवाहरलाल नेहरूजी भारत के प्रधान मंत्री ही नहीं थे, आधुनिक भारत के निर्माता भी थे। इस तरह वे युगपुरुष थे, इतिहास- -पुरुष थे। आज का भारत उनके सपनों का भारत है। अपने स्वप्न को सच बनाने के लिए उन्होंने महान तपस्या की। उन्होंने लोकतंत्र में एक नया युग आरंभ किया और समाजवादी समाज की नींव डाली। उन्होंने जनता के सामने धर्म निरपेक्षता (सेक्यूलरिज़म) का आदर्श रखा। संसार के अनेकों राजनैतिक आदर्शों के संघर्ष के बीच उन्होंने तटस्थता (गुटबंदी से अलग रहना) का आदर्श रखा। पूर्व और पश्चिम और विश्व के लोकतंत्रों और समाजवादी राज्यों को परस्पर निकट लाने का उन्होंने जो प्रयत्न किया उसके लिए वे हमेशा याद रहेंगे। विश्व-शांति के लिए जितना प्रयत्न नेहरूजी ने किया उतना और किसी ने नहीं किया। इसीलिए वे 'शांति-दूत' के नाम से जाने जाते हैं और उनके समाधि को भी 'शांतिवन' नाम रखा गया। उन्होंने देश को जो कुछ दिया उतना उनके गुरु महात्मा गांधी को छोड़ और किसी ने नहीं दिया। इसीलिए उनको भारत के सर्वोच्च, सम्मान “भारत रत्न" से सम्मानित किया गया।


उपसंहार:- नेहरूजी का जीवन सबके लिए एक महान आदर्श है। उनकी देशभक्ति, कठिन परिश्रम, देश की सेवा, समाज का कल्याण आदि से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। अंत में इतना ही कहेंगे


"उन्होंने हमें दी दूर - दृष्टि उन्होंने हमें दिया उद्देश्य उन्होंने हमें दी नई दिशा ॥"

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